Moral story in hindi

गरीब का नसीब | गरीब का किस्मत | Garib ka naseeb Hindi kahani

अगर गरीब लोग नहीं होता तो ये दुनिया नहीं चलती इस दुनिया को अमीर लोग नहीं बल्कि गरीब लोग चलाते है एक गरीब इंसान
अपने दम पर सब कुछ कर सकता है बस करने का जज्बा और हिम्मत होना चाहिए

लेकिन एक अमीर इंसान बिना किसी गरीब इंसान के मदद के बिना कुछ भी नहीं कर सकता है ये बात आप को शायद अजीब लग रहा होगा लेकिन इसे पूरा पढ़ने के बाद आप भी यही कहेंगे

दोस्तो जिस सड़क पर अमीरो की महंगी महंगी गाड़ियां दौड़ती है ना उस सड़क को किसी गरीब ने सूरज की जलती गर्मी में तप तप कर बनाया होता है नाम भले ही अमीरों का होता है लेकिन काम
काम गरीबों का ही होता है दुनिया की सबसे उंची बिल्डिंग
बुर्ज खलीफा को बनाने का सारा श्रेय आर्किटेक्चर, इंजीनियर और वहां की सरकार को मिलती है लेकिन ये सब भुल जाते है
कि उस उंची बिल्डिंग को बनाने में ना जाने कितने गरीब मजदूरों की जान तक चली गई दुबई की उंची विलडिंग हो या, भारत का ताजमहल, या फिर चायना की लंबी दिवार इन सबको बनाने वाला कोई ना कोई गरीब इंसान ही है लेकिन नाम नाम बनाने वाले का नहीं बनवाने वाला का होता है

बॉलीवुड हो, टॉलीवुड हो, चाहे हॉलीवुड हो किसी फिल्म की कामयाबी में नाम भले ही एक्टर, डायरेक्टर और राइटर का हो
लेकिन उसके पीछे सैकड़ों हजारों गरीब लोगों की मेहनत छुपी होती है

वो गरीब ही होता है जो अपने घर परिवार को छोड़कर सर्दी हो गर्मी हो बरसात हो दिन की तपती धरती हो या फिर काली अंधेरी रात बिना अपनी जान की परवाह किए देश की सरहदों पर देश की रक्षा करता है

वो गरीब ही होता है जो लंबी-लंबी नदियों पर पुल बनाता है
वो गरीब ही होता है जो उँची उँची पहाड़ों को काट कर रास्ता बनाता है वो गरीब ही होता है जो रेल की पटरियों को बिछाता है,
वो गरीब ही होता है जो रिक्शा, टेम्पो, कार, बस, ट्रेन, यहां तक की हवाई जहाज को उड़ाता है

वो गरीब ही होता है जो खेतो में चावल, दाल, फल, फूल और दुनिया के सभी तरह के खाने पीने की चीजे अपनी खून पसीने से उगाते है वो गरीब ही होता है जो जूते, चप्पल, कपड़े, वर्तन, टीवी, पंखे, छोटी सी सूई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने में जो मेहनत लगती है ना वो एक गरीब इंसान का ही होता है

यही नहीं इस दुनिया में आप जितनी भी चीजे देखते हो जितनी भी चीजे इस्तेमाल करते वो किसी ना किसी गरीब की मेहनत से ही बना होता है लेकिन फिर भी इस दुनिया में किसी गरीब को कोई पूछने वाला तक नहीं है

अमीर और अमीर बनता जा रहा है
और गरीब
और गरीब बनता जा रहा है आपके के भी मन में ये सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता

तो चलिए आज मैं आपको इस सवाल का जवाब दे ही देता हूँ
कि आखिर अमीर
और अमीर कैसे बनता जा रहा है
और गरीब
और गरीब क्यूं होता जा रहा है

दोस्तो वो गरीब ही होता है जो अमीर को और अमीर बनाता है
और वो गरीब ही होता है जो गरीब को और गरीब बनाने में
अमीर का साथ देता है आप सोच रहें होंगे कि ये मै क्या कह रहा हूँ
तो आइए पहले जानते हैं कि गरीब लोग अमीर को और अमीर कैसे बनाता है

एक अमीर इंसान अपने पैसों से एक खाली प्लॉट खरीदता है
अब उस खाली प्लॉट पर बिल्डिंग बनानी हो या कोई कंपनी या फिर उस कंपनी में इस्तेमाल किए जाने वाले छोटी बड़ी मशीने
इन सब के लिए गरीबों का ही पैसा लगता है आप कहेंगे कैसे

तो दोस्तो हम गरीब इंसान जो कुछ भी पैसा कमाते है जितना भी कमाते है जहां से भी कमाते हैं अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद अपने मन को मार कर अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कुछ न कुछ पैसे अपने बैंक अकाउंट में जमा कर देते हैं
और ऐसा हम और आप नहीं पूरे देश के गरीब कुछ ना कुछ पैसे अपने अकाउंट में जमा करते रहते हैं और ये बैंक वाले भी अमीर ही होते है जो उन गरीब लोगों के पैसे को उन अमीर लोगों को कर्ज यानी लोन पर दे देते हैं उन बिल्डिंग और कंपनी को खड़ी करने के लिए और वही गरीब लोग फिर उन कंपनी में जाकर काम करते हैं जो कंपनी उन गरीब लोगों के ही पैसे से ही खड़ी की होती है और उस कंपनी में जो प्रोडक्ट तैयार होता हैं ना उस प्रोडक्ट को तैयार करने में उन गरीब का ही मेहनत होता है और बदलें में उन गरीब को क्या मिलता है 10 – 20 हजार की सैलरी,
उस कंपनी में एक प्रोडक्ट को तैयार करने में पूरे खर्च मिलाकर अगर ₹100 होते हैं तो उसे मार्केट में 5 सौ 1 हजार रूपये का एमआरपी लगाकर बेचा जाता है और हैरानी की बात ये है कि उस प्रोडक्ट को खरीदने वाले हम गरीब लोग ही होते हैं उस कंपनी में पैसा लगा गरीब का मेहनत लगा गरीब का और कई गुना मुनाफा
वो बैंक वाले और वो कंपनी बनाने वाले अमीर लोग कमाते हैं

अब आप ये तो समझ गये होंगे कि कि गरीब की मदद से
वो अमीर और अमीर कैसे बनते जा रहे हैं

अब आप ये भी जान लो की एक गरीब दूसरे गरीब को और गरीब बनाने में अमीर का साथ कैसे देता है

दोस्तों आप जब भी मार्केट जाते हो तो आपने देखा होगा कि वहां पर सिर्फ दो तरह के समान बिकते हैं एक समान वो जो अमीर बनाते हैं और दूसरा वो जो गरीब बनाते हैं

बनाता तो सब गरीब ही है लेकिन एक समान ऐसा होता है जिसका प्रॉफिट जिसका मुनाफा अमीर को मिलता है और एक समान ऐसा होता है जिसका प्रॉफिट गरीब को मिलता है
अमिर का सामान मतलब वो सामना जिसे 100 रुपये में तैयार किया जाता है और उस पर 500, 700 रूपये की एमआरपी लगा दिया जाता है, 10 रुपये के समान पर 100 रुपये का प्राइज लगा दिया जाता है और आप उसे चुपचाप खरीद लेते हैं लेकिन उस प्रोडक्ट को बेचने वाला एक गरीब ही होता है और अगर वो गरीब इंसान आपसे एमआरपी से 1 रुपये ज्यादा मांग ले तो आप के पसीने छूट जाते हैं आप खुद गरीब होकर उस गरीब को कानून समझाने लगते हैं आपने कभी ये जाने की कोशिश की कि जिस सामान को आप ₹500 में खरीद रहे हैं क्या वो ₹500 लायक है
या उसे बनाने में ₹500 खर्च हुए हैं कभी नहीं की क्यों क्योंकि वहां तक आप पहुंच ही नहीं सकते हैं

एक गरीब इंसान साग सब्जी को अपने खेतों में लगाते हैं उसकी सिंचाई करते हैं उसे तोड़ते हैं काटते हैं मार्केट तक ले जाते हैं
लेकिन उस पर एमआरपी नहीं लिखा होता है और आपको लगता है कि एक गरीब इंसान आपसे बहुत लूट रहा है अगर वो अपनी फल सब्जी की कीमत 50 रुपया रखा है तो आपको लगेगा कि वो हमें लूट रहा है और उसको आप कम करवाने में जुट जाएंगे
50 रुपये के समान आप 20 रुपये में खरीदना चाहेंगे क्यों पता है
क्योंकि वो गरीब है आप उसकी कमजोरी जानते है एक दुकान पर नहीं तो दूसरे दुकान पर कुछ ना कुछ कम में मिल ही जाएंगे
क्योंकि वह गरीब का सामान है इसीलिए मैं कहता हूं कि एक गरीब को और गरीब करने में जितना हाथ अमीर का होता है उससे भी कहीं ज्यादा गरीब का हाथ होता है और ये डायरेक्टली, इनडायरेक्टली आप दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी गरीब करते जा रहे हैं और ये सिलसिला तबतक ऐसा ही चलता रहेगा
जबतक यह दुनिया रहेगी एक बड़ी मछली छोटी मछली को खाते ही रहेंगे और वो छोटी मछली बड़ी मछली को तो खा नहीं सकते हैं इसिलए वो छोटी मछली भी किसी और छोटी मछली को खाते रहेंगे

दोस्तों इस पोस्ट में कही गई बातों से अगर आप सहमत हैं तो इसे जितना हो सके उतना शेयर जरूर कीजिएगा,
धन्यवाद

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