बंदर और चिंपैंजी को देखकर अकसर लोगों के दिमाग में एक सवाल आ जाता है, कि अगर हम बंदर से इंसान बने है तो बाकी बंदर इंसान क्यों नहीं बने, और कई लोग तो यहाँ तक भी कहते हैं कि बाकी बचे हुए बंदर और चिंपैंजी भी कभी ना कभी इंसान बन जाऐंगे, आखिर इन बात में कितनी सच्चाई है और क्या ये बंदर और चिंपैंजी कभी इंसान बन जाऐंगे, तो चलिए आज जानते है इन्ही सारे सवालों के जवाब,
अगर आप मानव डीएनए को बंदर के डीएनए से मैच करेंगे तो देखेंगे कि केवल 93% मैच होता है जब कि चिमपैंजी से 99% तक मिलता है,
ये जानने के बाद हमें लगता है कि हमारे नजदीकी पूर्वज बंदर ना होकर चिमपैंजी रहे होंगे, लेकिन ये बिल्कुल गलत है, हम ना तो चिमपैंजी से विकसित हुए और ना ही हमारा विकास पूरी तरह से बंदर से हुआ है,
विकास की प्रक्रिया में बंदर और चिंपैंजी हमसे जुड़े हुए जरूर है लेकिन हमारा रिस्ता इस प्रजाति से बहुत दूर का रहा है
एक रिपोर्ट से पता चलता है कि लाखो साल पहले इंसान और चिंपैंजी ने एक ही सोर्स में विकसित होना शुरू किया था, और वो सोर्स था, होमिनिडाइ कहां जाता है कि ये प्रजाति हमारे साझा पूर्वज थे, शरीर से ये बंदर और इंसान दोनों ही तरह के दिखाई देते थे, ज्यादा समय पेड़ पर रहने के अलावा ये झुककर चलते थे, हालांकि इनकी सटीक शरीर की बनावट कैसी थी, वो किसी को नहीं पता,
लेकिन एक बात तो तय है कि इंसान और चिंपैंजी को विकसित करने वाले प्रजाती यही थे,
आगे चलकर होमिनिडाइ दो दिशा विकसित हुए कुछ होमिनिडाइ पेड़ पर ही रहना चाहते थे, जबकि कुछ ने विकसित होकर जमीन पर चलना शुरू कर दिया था,
जो अब भी पेड़ पर रहना चाहते थे, वो थे कोलोनी जिससे बने गोरिल्ला, जो कि आज भी धरती पर मौजूद है और आगे इन प्रजाति में कोई विकास नहीं हुआ,
लेकिन जिसने विकसित होकर जमीन पर चलना शुरू कर दिया था, वो थे होमिनी जो आगे चलकर दो भागों मे विभाजित हो गए
एक बने पेनपेनिसकस यानी कि बोनोपो और चिंपैंजी जिनका डीएनए आज इंसान से 99% तक मेल खाता है,
और दूसरे हुए होमोसेपियन जो आगे चलकर हम यानी इंसान बने, लेकिन होमोसेपियन से पूरी तरह से आज के जैसे मानव बनने में कई हजार साल गुजर गए थे,
तो अगर आप आश लगाकर बैठे है कि बंदर और चिंपैंजी भी कभी इंसान बनने वाले है तो ऐसा कभी नहीं होनेवाला है, क्योंकि हम इंसान बंदर, चिंपैंजी से विकसित हुए ही नहीं है,
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